ना रस्मों रिवाजों से सरोकार उनका अपने मन में खुद सरकार है उनका ! ना रस्मों रिवाजों से सरोकार उनका अपने मन में खुद सरकार है उनका !
"शायरी" "शायरी"
मां की कमी पिता पूरी नही कर सकता... मां की कमी पिता पूरी नही कर सकता...
तुम प्यार का बादल बन कर बरसो, मैं भीगना चाहती हूं। तुम प्यार का बादल बन कर बरसो, मैं भीगना चाहती हूं।
तुझे पाने के लिए मैंने अपने आप को इस कदर भुला दिया है लेकिन तू तो किसी और के लिए पागल है, प्या... तुझे पाने के लिए मैंने अपने आप को इस कदर भुला दिया है लेकिन तू तो किसी और के ...
यह कविता वर्तमान समय में चल रहे मनुष्यों के छल-प्रपंच से दुःखी एक मनुष्य की पीड़ा को दर्शाती है। यह कविता वर्तमान समय में चल रहे मनुष्यों के छल-प्रपंच से दुःखी एक मनुष्य की पीड़ा...